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पौधों का हमारे जीवन में क्या महत्व है? क्यों यह पेड़ हमारे लिए महत्वपूर्ण है

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पेड़-पौधे, पृथ्वी पर ईश्वर का दूसरा रूप है, जो हमें जीवन प्रदान करता है। साँस लेने के लिए ऑक्सीजन भी पेड़ से ही प्राप्त होता है,जिससे जीवन संभव हो पाता है। इसके अलावा पेड़ों से हरी-भरी साग-सब्जियाँ, फल-फुल, विभिन्न कामों में आने वाली लकड़ियाँ, अलग अलग प्रकार की इत्यादि उपयुक्त रूप से प्राप्त होतें हैं।

  1. पेड़ पर्यावरण को अनुकूलित रखते है और औजोन परत को बनाए रखने में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देते है|
  2. भारतीय रीति-रिवाजों के अनुसार पेड़ों का प्राचीन महत्व है। अनेकों पेड़ों की पूजा भी की जाती है।
  3. पेड़-पौधे, पशु-पक्षियों के रहने और साथ में खाने के लिए फल आदि देने का स्त्रोत देते है|
  4. पेड़ लोगों की जीविका का साधन है और इंधन का भी प्रमुख साधन पेड़ ही है।
  5. मानव को ऑक्सीज़न की जरूरत होती है और पेड़ों से हमें जीवन उपयोगी ऑक्सीजन प्राप्त होता है|
  6. पेड़ मनुष्य द्वारा छोड़ी गयी कार्बन डाई ऑक्साईड को अपनी पत्तियों के माध्यम से खींचते है और साथ में वायु को शुद्ध करते है|
  7. पेड़ों से मिली लकड़ी का प्रयोग घरों, कारखानों और बहुत से उद्योगों में कच्चे माल के तौर पर प्रयोग किया जाता है|
  8. पेड़ होने की वजह से वातावरण हमेशा शुद्ध और अनुकूलित होता है|
  9. पेड़ से प्राप्त फल और लकड़ी जो की मनुष्य और पशुओं के भोजन का आधार होता हैं।
  10. पेड़ से उपयोगी जड़ी बूटी मिलती है जोकि इलाज के लिए दवा बनाने में बहुत काम आती है|

पर्यावरण संतुलन को ध्यान में रखते हुए यदि हम सोचें तो मानव जीवन में पक्षियों का बहुत बड़ा महत्व है। आकाश में उडते हुए ये पक्षी पर्यावरण की सफाई के बहुत बड़े प्राकृतिक साधन हैं। गिद्ध,चीलें,कौए,और इनके अतिरिक्त कई और पशु पक्षी भी हमारे लिए प्रकृति की ऐसी देन हैं जो उनके समस्त कीटों,तथा जीवों तथा प्रदूषण फैलाने वाली वस्तुओं का सफाया करते रहते हैं जो धरती पर मानव जीवन के लिए खतरा उत्पन्न कर सकते हैं। कितने ही पशु पक्षी भी हमारे लिए प्रकृति की ऐसी देने हैं,जो समस्त कीटों,जीवों तथा प्रदूषण फैलाने वाली वस्तुओं का सफाया करते हैं जो धरती पर मानव जीवन के लिए खतरा उत्पन्न कर सकते हैं।


 कितने पशु पक्षी हैं जो कीट कीटाणुओं तथा प्रदूषण युक्त वस्तुओं को खाकर मानव जीवन के लिए उपयोगी वनस्पतियों की रक्षा करते हैं। ऐसे पशु पक्षियों का न रहना अथवा लुप्त हो जाना मनुष्य के लिए बहुत अधिक हानिकारक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि गिद्ध, चीलें,बाज और कौए तथा अन्य अनेक प्रजातियों के ये पक्षी प्राकृतिक संतुलन रखने के लिए अपना असाधारण योग देते हैं। मानव जीवन के लिए इन पक्षियों का जो महत्व है,उसका अनुमान हम अभी ठीक ठीक नहीं लगा पा रहे हैं। यदि स्थिति ऐसी ही बनी रही तो भविष्य में हमें अनुभव होगा कि पशु पक्षियों के छिन जाने से हम कितने बड़े घाटे में आ गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि मनुष्य के लिए बहुत बड़ी और गंभीर चिंता का विषय है कि इन पक्षियों की संख्या दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है। कौन नहीं जानता कि चीलें और गिद्ध मृत पशु पक्षियों को अपना आहार बनाकर पर्या वरण को स्वच्छ बनाए रखने का कर्तव्य पूरा करते रहे हैं।  
वे मृत जानवरों के शवों के गलने सड़ने और प्रदूषण फैलने से पहले उनका सफाया कर देते हैं। धरती का वातावरण विषैला होने से बचा रहता है। गिद्ध और चीलें ही नहीं,कौए भी पक्षियों की उसी श्रेणी में आते हैं,जिन्हें प्रकृति ने मनुष्य के लिए स्वच्छकार बनाकर भेजा है। ये पक्षी कूड़े करकट के ढेरों में पड़ी गलने सड़ने वाली वस्तुओं को खाकर समाप्त करते रहते हैं। रिपोर्ट में कहा जाता है कि हमारी चिंता का विषय यह है कि जिस प्रकार गिद्ध औरचीेलें हमारे आकाश से गायब होती चली गयी इसी प्रकार अब कौए भी हमसे विदाई लेते जा रहे हैं।

 प्रश्न यह नहीं कि जब कोई इन पक्षियों का शिकार नहीं कर रहा है,कोई इन्हें मार नहीं रहा है। सत्ता नहीं रहा है,तब क्या कारण है कि ये हमारी बस्तियों और शहरों से विदा होते जा रहे हैं,लुप्त या समाप्त होते जा रहे हैं ? सिरसा स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र में कार्यरत वैज्ञानिक डा. के.एन. छाबड़ा ने भी इस तथ्य को स्वीकार करते हुए कहा है कि गिद्ध,चीलें और कौए इस क्षे़त्र से गायब होते जा रहे हैं। उन्होंने इस तथ्य पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उनका मानना है कि पिछले कुछ समय में कौओं की संख्या में अप्रत्याशित रूप से कमी आई है। पहले यदि कोई कौआ बिजली के तार पर करंट लगने से चिपककर मर जाता था तो उसके शोक में शोर करते हुए हजारों कौए इकट्ठे होकर आसमान सिर पर उठा लेते थे। आस पास के पूरे  क्षेत्र में कौओं का सैलाब उमड़ पड़ता था। पर अब ऐसा नहीं होता। अब यह पक्षी समूहों में बहुत कम नजर आता है। 
मास भक्षी पक्षियों के लुप्त हो जाने के उपरांत जब कोई ऐसा प्राकृतिक साधन हमारेपास नहीं रहेगा,जिससे हम अपने मृत पशुओं को सड़ने गलने से बचाकर ठिकाने लगा सकेंतो उस समय क्या होगा ? गिद्ध,चील और कौए आदि मांस भक्षी पक्षी तो हमारी धरती से विदाहो चुके होंगे,इनके दुर्गंध फैलाने वाले हाड़ मांस से प्रदूषण फैलेगा और यह प्रदूषित हवा,हमेंभांति भांति की जानलेवा बीमारियों की भेंट चढा देगी और यह मांस भक्षी पशु पक्षी जो प्रकृतिने हमें हर समय तप्पर रहने वाले स्वच्छकारों के रूप में प्रदान किए थे,जब नहीं होंगे तो धरतीपर मानव जीवन कितना सुरक्षित हो जाएगा,इसका अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है। विशेषबात यह है कि वातावरण में जो विष फैला हुआ है,जो प्रदूषण व्याप्त है,उसका उत्तरदायित्वभी हम मनुष्यों पर ही है। विकास की अंधी दौड़ में मानव यह भूल गया है कि वह जिस शाखा पर बैठा है,उसीको काटता भी जा रहा है। उदाहरण के लिए पेट्रोलियम पदार्थों का प्रयोग आरंभ करते हुए कबकिसने यह सोचा था कि इसके विषैले धुंए से वातावरण प्रदूषित होगा अथवा भांति भांति केरासायनिक खादों तथा कीटनाशक औषधियों से अपनी उपज को बढाने के एवं सुरक्षित रखनेकी लालसा में कब किसे यह खयाल आया होगा कि इसका विषैला प्रभाव हम पर ही नहीं,उनपशु पक्षियों के जीवन पर भी पड़ेगा,जो धरती पर मानव जीवन के लिए आवश्यक हैं। गिद्धऔर चीलें लुप्तप्राय: हो चुके हैं। कौए गायब हो रहे हैं। इस स्थिति को सामान्य मानकर छोड़देने से काम नहीं चलेगा। यह स्थिति इस खतरे की द्योतक है कि यदि यह सिलसिला चलतारहा तो धरती आदमी के अनुकूल नहीं रहेगी। पर्या वरण का संतुलन बिगड़ेगा तो धरती परमनुष्य का जीवन भी खतरे में पड़ जायेगा। अस्तु,पशु पक्षियों के लिए ही नहीं,स्वयं अपने लिएभी हमने इस धरती को रहने योग्य नहीं छोड़ा है। चील,गिद्ध और कौए जो धरती के प्रदूषितवातावरण से बचकर आकाश के स्वच्छ वातावरण में सांस लेने के लिए उड़ान भर लिया करतेथे,अब वह आकाश भी उनके लिए अनुकूल नहीं रहा है। आकाश को भी मनुष्य ने कचरे औरप्रदूषण से बुरी तरह भर दिया है। पर्या वरण नीतियों एवं विकास कार्यक्रमों के बीच समन्वय कीसंकल्पना अतिआवश्यक है
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जनता के लिए सामाजिक जागरूकता संदेश

वाक़ई गौरैया एक अद्भुत पक्षी है, इस पक्षी को संरक्षण देना हमारा कर्तव्य होना चाहिए । हमें इस बात की जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि गौरैया जैसे नन्हे और खूबसूरत पक्षी को जरूर बचाना चाहिए ।







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