खतरनाक , बहुत विस्फोटक होता है ऑक्सिजन का सिलेंडर ? ये एल पी जी वाले लाल सिलेंडर से बिलकुल भिन्न है , इसको लुढ़काया या पटका नहीं जा सकता , अगर इसका ऊपर लगा वाल्व टूटा तो ये किसी मारक मिसाइल से भी ज्यादा खतरनाक बम बन जाता है। आजकल जो लोग अपने घरों में ऑक्सिजन के सिलेंडर रखे बैठे हैं वे विशेष ध्यान रखें । जरा सी भी लापरवाही बहुत भारी पड़ेगी।
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Safety tips to keep oxygen cylinder at home
- किसी भी खुली लौ या गर्मी स्रोत से कम से कम 3 मीटर तक ऑक्सीजन रखें, जैसे कि मोमबत्तियाँ या गैस स्टोव, या ऐसी किसी भी चीज़ से जो चिंगारी पैदा कर सकती है।
- ऑक्सीजन उपकरण के पास धूम्रपान न करें या किसी और को न दें।
- पेट्रोल सहित ऑक्सीजन के पास ज्वलनशील कुछ भी उपयोग करने से बचें,
- सफाई तरल पदार्थ, और एयरोसोल डिब्बे या स्प्रे जैसे कि फ्रेशनर याहेयरस्प्रे।
- सुनिश्चित करें कि आपके घर में धूम्रपान अलार्म है।
- ऑक्सीजन उपकरण साफ और धूल मुक्त रखें।
- किसी भी खुली लौ, गर्मी स्रोत या प्रत्यक्ष सूर्य के प्रकाश से दूर एक हवादार क्षेत्र में एक ईमानदार स्थिति में ऑक्सीजन सिलेंडर स्टोर करें। कपड़े या प्लास्टिक से कवर न करें।
- हानिकारक सिलेंडर से बचने के लिए देखभाल के साथ ऑक्सीजन उपकरण संभालें।
- सही दबाव गेज और नियामक का उपयोग करें।
- जब एक सिलेंडर लगभग खाली हो, तो वाल्व को बंद करें और सिलेंडर को खाली के रूप में चिह्नित करें। एक साथ फुल और खाली सिलेंडर स्टोर न करें।
आपने जब भी कोई गैस का सिलेंडर देखा होगा तो एक बात नोटिस की होगी कि गैस के सिलेंडर एक जैसे ही होते हैं. चाहे सिलेंडर या टैंक में किसी भी तरह की गैस हो या वो छोटा हो या बड़ा, हर सिलेंडर एक ही तरह का होता है. आपने देखा होगा कि सिलेंडर हमेशा बेलनाकार शेप का होता है. यह कभी भी चौकोर या गोल नहीं होता है, आपने कभी सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों होता है. इसके पीछे भी अहम कारण है और खास वैज्ञानिक कारण की वजह से इसे बेलनाकार शेप दिया जाता है.
हाल ही में कोरोना वायरस के संकट के दौरान भी आपने देखा होगा कि अस्पतालों तक ऑक्सीजन पहुंचा रहे ट्रक भी बेलनाकार शेप में ही हैं. इन ट्रक पर लगे टैंकर भी छोटे गैंस टैंक की तरह ही है. ऐसे में जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों होता है और सभी गैस सिलेंडर की शेप एक तरह की क्यों होती है
क्यों होते हैं बेलनाकार?
दरअसल, जब भी किसी लिक्विड या गैस को किसी एक पात्र में रखा जाता है तो यह सबसे ज्यादा प्रेशर उस पात्र के कोनों पर बनाता है. ऐसे में चौकोर टैंकर नहीं बनाए जाते हैं, क्योंकि इससे फिर चारों कोनों पर ज्यादा प्रेशर पड़ता है और इसके कोने से लीक होने या पात्र के फटने का खतरा रहता है. इस वजह से इसे चौकोर नहीं बनाया जाता है. गोल या बेलनाकार होने से फायदा यह होता है कि पूरे सिलिंडर में एक जैसा दबाव पड़ता है. अगर कहीं पर कम और कहीं पर ज्यादा दबाव पड़े तो यह खतरनाक हो सकता है.
ऐसे में बिना कॉनर्स के पात्र में किसी भी प्रेशराइज्ड गैस को कैरी करना आसान होता है. इसके अलावा कई रिपोर्ट में कहा गया है कि जब टैंकर बेलनाकार होते हैं और किसी ट्रक या वाहन पर लोड किए जाते हैं तो ग्रेविटी प्रेशर को भी मेनटेन रखते हैं. इससे सेंटर ऑफ ग्रेविटी कम होता है और ट्रक स्थिर रहता है और दुर्घटना का खतरा भी नहीं होता है. इसी वजह से टैंकर बेलनाकार या बिना कॉर्नर वाले होते हैं. ये सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि हर जगह यह रूल फॉलो होता है और सभी जगह टैंकर हमेशा गोल ही होते हैं.
इसलिए कुएं भी होते हैं गोल?
गोल कुएं अन्य कुओं की तुलना में काफी मजबूत होते हैं. वैसे तो बहुत कम चौकोर कुएं बनते हैं, लेकिन अगर बनाए भी जाएं तो गोल कुएं उनके मुकाबले काफी मजबूत होंगे. दरअसल, गोल कुएं में कोई भी कोर्नर नहीं होता है और हर तरफ से गोल होने की वजह से पानी का प्रेशर भी हर तरफ पड़ता है. पानी का प्रेशर हर तरफ बराबर होता है, जबकि कुआं चौकोर बनाया जाए तो सिर्फ चार कोनों में ज्यादा प्रेशर रहेगा. इसकी वजह से कुआं ज्यादा दिन नहीं चल पाएगा और इसके ढहने का खतरा भी काफी ज्यादा रहेगा.
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जनता के लिए सामाजिक जागरूकता संदेश
वाक़ई गौरैया एक अद्भुत पक्षी है, इस पक्षी को संरक्षण देना हमारा कर्तव्य होना चाहिए । हमें इस बात की जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि गौरैया जैसे नन्हे और खूबसूरत पक्षी को जरूर बचाना चाहिए ।
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